Mohini Apsara मोहिनी अप्सरा मंत्र साधना
मोहिनी अप्सरा साधना Apsara Mantra
अप्सरा के मंत्र सिद्ध होने पर वह साधक के साथ छाया के तरह जीवन भर सुन्दर और सौम्य रूप में रहती है तथा उसके सभी मनोरथों को पूर्ण करने में सहायक होती है।
हिन्दू पौराणिक कथाओं में ऐसी अपूर्व सुंदरियों का उल्लेख मिलता है जो अपनी मोहक और कामुक अदाओं से किसी को भी अपना दीवाना बना देती थीं। इन्हें अप्सरा कहा जाता है और माना जाता है कि ये स्वर्ग लोक में रहती हैं। आकर्षक सुन्दरतम वस्त्र, अलंकार और सौंदर्य प्रसाधनों से युक्त-सुसज्जित, चिरयौवना अप्सरा के बारे में कहा जाता है कि उनकी साधना करने से साधक के शरीर के रोग, जर्जरता एवं बुढ़ापा समाप्त हो जाते हैं।
मोहक व कामुक अदाऐं , छलकती जवानी
अप्सरा के विलक्षण मंत्र
आकर्षक सुन्दरतम वस्त्र, अलंकार और सौंदर्य प्रसाधनों से युक्त-सुसज्जित, चिरयौवना अप्सरा के बारे में कहा जाता है कि उनकी साधना करने से साधक के शरीर के रोग, जर्जरता एवं बुढ़ापा समाप्त हो जाते हैं।
मंत्र सिद्ध होने पर वह साधक के साथ छाया के तरह जीवन भर सुन्दर और सौम्य रूप में रहती है तथा उसके सभी मनोरथों को पूर्ण करने में सहायक होती है। यह जीवन की सर्वश्रेष्ठ साधना है। जिसे देवताओं ने सिद्ध किया इसके साथ ही ऋषि मुनि, योगी, संन्यासी आदि ने भी सिद्ध किया इस सौम्य साधना को। इस साधना से प्रेम और समर्पण के गुण व्यक्ति में स्वतः प्रस्फुरित होते हैं क्योंकि जीवन में यदि प्रेम नहीं होगा तो व्यक्ति तनावों में बीमारियों से ग्रस्त होकर समाप्त हो जाएगा। प्रेम को अभिव्यक्त करने का सौभाग्य और सशक्त माध्यम है साधना।
साधना विधि
सामग्री - प्राण प्रतिष्ठित यंत्र, माला।।
यह रात्रिकालीन 27 दिन की साधना है। इस साधना को किसी भी पूर्णिमा या शुक्रवार को अथवा किसी भी विशेष मुहूर्त में प्रारंभ करें। साधना प्रारंभ करने से पूर्व साधक को चाहिए कि स्नान आदि से निवृत होकर अपने सामने चौकी पर गुलाबी वस्त्र बिछा लें, पीला या सफ़ेद किसी भी आसान पर बैठे, आकर्षक और सुन्दर वस्त्र पहनें। पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें। घी का दीपक जला लें। सामने चौकी पर एक थाली रख लें, दोनों हाथों में गुलाब की पंखुडियां लेकर आह्वान करें।
|| ॐ ! मोहिनी अगच्छ पूर्ण यौवन संस्तुते ||
यह आवश्यक है कि यह आह्वान कम से कम 101 बार अवश्य हो प्रत्येक आह्वान मंत्र के साथ गुलाब की पांखुरी थाली में रखें। इस प्रकार आवाहन से पूरी थाली पांखुरियों से भर दें।
अब अप्सरा माला को पांखुरियों के ऊपर रख दें इसके बाद अपने बैठने के आसान पर ओर अपने ऊपर इत्र छिडकें। रंभोत्कीलन यंत्र को माला के ऊपर आसन पर स्थापित करें। गुटिका को यन्त्र के दाएं तरफ तथा साफल्य मुद्रिका को यंत्र के बाएं तरफ स्थापित करें। सुगन्धित अगरबती एवं घी का दीपक साधनाकाल तक जलते रहना चाहिए।
दिन शुक्रवार
शुरू करने का समय देर रात है 9 बजे के बाद |
नहाने के बाद
कम्बल को मोड़कर स्वच्छ आसन पर बैठ जाएं
मुख पूर्व की ओर उत्तर की ओर होना चाहिए
मंत्र जाग्रत करें यंत्र माला अपने सामने रखें,
यंत्र को धूप दीप अर्पित करें
मंत्र जाप माला लें।
1- ॐ गं गणपते नमः
(माला का 2 माला )
2- शिव मंत्र
ओम नमः शिवाय (5 माला )
3- अप्सरा साधना के लिए आप गणेश चामुण्डा शिव जी व गुरु जी की ऊर्जा प्राप्त कर लीजिए तभी आपको जल्दी सफलता मिलेगी ।आप उनसे प्रार्थना करेंगे कि हे महादेव आप मेरी ऊर्जा को बढायें , तथा इस साधना में और आप मुझे सफलता का प्रदान करे|
सबसे पहले गुरु पूजन ओर गुरु मंत्र जप कर लें। फिर यंत्र तथा अन्य साधना सामग्री का पंचोपचार से पूजन संपन्न करें। स्नान, तिलक, धूप, दीपक एवं पुष्प चढ़ाएं।
इसके बाद बाएं हाथ में गुलाबी रंग से रंग हुआ चावल रखें, ओर निम्न मंत्रों को बोलकर यंत्र पर चढ़ाएं।
|| ॐ दिव्यायै नमः ||
|| ॐ प्राणप्रियायै नमः ||
|| ॐ वागीश्वर्ये नमः ||
|| ॐ ऊर्जस्वलायै नमः ||
|| ॐ सौंदर्य प्रियायै नमः ||
|| ॐ यौवनप्रियायै नमः ||
|| ॐ ऐश्वर्यप्रदायै नमः ||
|| ॐ सौभाग्यदायै नमः ||
|| ॐ धनदायै मोहिनी नमः ||
|| ॐ आरोग्य प्रदायै नमः ||
इसके बाद प्रतिदिन निम्नलिखित मंत्र से 51 /31/21/माला प्रतिदिन जप करें |
मंत्र : ॐ मोहिनी मोहिन्यै स्वाहा।।
अनुष्ठान : सप्तमी से उक्त मंत्र से बट वृक्ष के नीचे अथवा वृक्ष की टहनी पते तथा मंत्र सिद्ध यंत्र माला ले कर ही जाप करें|
मंत्र सिद्ध यंत्र की षोडशोपचार पूजन करके 11000 जप अमावस्या से अगली पूर्णिमा तक यानी २३ दिन तक करे तो देवी की कृपा होती है। यह देवी साधक में सम्मोहन शक्ति पैदा कर देती है कि साधक की बात को कोई न करता ही नहीं किन्तु शक्ति का दुरूपयोग न करे।
प्रभाव : देवी की कृपा से सांसारिक सुख के साधन एबं धन प्राप्त होता है तथा मोहनीशक्ति प्राप्त होती है। शक्ति और धन का दुरूपयोग करने से साधक कष्ट पाता है।
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